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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2640
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
प्राचीन भारत के आर्थिक विचारों के विकास में कौटिल्य के योगदानों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
कौटिल्य के आर्थिक विचारों का विवरण दीजिए।

उत्तर -

कौटिल्य ने अपनी पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में राजा, मन्त्रियों, एवं सरकारी अफसरों के कर्तव्यों, प्रशासन सम्बन्धी विधियों का विस्तृत उल्लेख किया है। कौटिल्य के अनुसार अर्थशास्त्र एक निरन्तर चलने वाला क्रम है। अपनी पुस्तक में उसने शहरों तथा ग्रामों की व्यवस्था, न्यायालयों, स्त्रियों के अधिकारों, वृद्धों तथा निःसहायों के पालन-पोषण, विशुद्ध तथा तलाक, राजस्व, थल तथा जल सेना की व्यवस्था, कूटनीति, कृषि, सूत कताई एवं बुनाई तथा अनेक अन्य विषयों की चर्चा की है। कौटिल्य ने प्रचलित आर्थिक विचारधारा के साथ-साथ स्वयं के निजी विचारों का भी उल्लेख किया है जो निम्लिखित विषयों पर आधारित है

1. भौतिक सम्पदा का स्वभाव एवं उद्देश्य (Nature and Purpose of Material Wealth) - कौटिल्य के अनुसार धन का अर्थ अत्यन्त विस्तृत था। इसके अन्तर्गत उसने मुद्रा, वस्तु, प्राप्त किया हुआ धन, सरकारी अथवा निजी सम्पत्ति, बहुमूल्य धातु, संचित धन, उपयोग किया जाने वाला धन, हस्तान्तरित किया जाने वाला धन सम्मिलित किये थे। उसके अनुसार किसी भी वस्तु में धन के लिए चार विशेषताएँ होनी चाहिए अर्थात् वास्तविकता, उपयोगिता, हस्तान्तरणता और प्राप्य धन। धन के अन्तर्गत कौटिल्य श्रम तथा वन सम्पदा को भी सम्मिलित करता था। उसने धन प्राप्त करने की विधियों एवं उद्देश्यों के सम्बन्ध में भी अपने विचार व्यक्त किये थे। उसके अनुसार, “जिस प्रकार विद्या को प्रतिक्षण प्राप्त किया जाता है ठीक उसी प्रकार धन को भी कण-कण करके प्राप्त करना चाहिए। कोई भी व्यक्ति जो धन अथवा विद्या प्राप्त करने के लिए आतुर है, उसको किसी भी कण अथवा क्षण की ओर उदासीन नहीं होना चाहिए। धन की प्राप्ति सदैव ही लाभदायक होती है यदि उसको एक अच्छी स्त्री, अच्छे पुत्र अथवा अच्छे मित्र का पालन-पोषण करने या धर्मार्थ के उद्देश्य से प्राप्त किया जाता है।"

2. वार्त्ता (Varta) - प्राचीन विचारकों ने 'वार्त्ता' शब्द का प्रयोग 'राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था' के विज्ञान के सन्दर्भ में किया है। कौटिल्य ने इसके अन्तर्गत कृषि, पशुपालन और व्यापार को सम्मिलित किया था। इन लोगों के लिए राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का इतना अधिक महत्त्व था कि कामंदक के अनुसार यदि यह नष्ट हो गयी तो संसार भी निर्जीव हो जायेगा। कौटिल्य ने वार्ता शब्द के स्थान पर अर्थशास्त्र शब्द का प्रयोग किया और अर्थशास्त्र के अन्तर्गत उसने अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, नीतिशास्त्र, व्यायामशास्त्र और सैन्य विज्ञान को सम्मिलित किया।

3. कृषि तथा पशुपालन (Agriculture and Animal Husbandary) - कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कृषि को प्रथम स्थान दिया गया है क्योंकि यह समाज को अनाज, पशु, धन, सोना, वन सम्पदा तथा सस्ता श्रम प्रदान करती है। इस दृष्टि से कौटिल्य के विचार प्रकृतिवादियों के विचारों से बहुत कुछ मिलते थे। वैदिक सामन्तों तथा तत्त्व ज्ञानियों के विरुद्ध कौटिल्य ने इस बात का अनुकरण किया कि ब्राह्मण तथा क्षत्रिय कृषि व्यवस्था को अपना सकते हैं परन्तु शर्त यह है कि ब्राह्मण अपने हाथ से हल नहीं चलायेगा।

4. श्रम की महानता (Dignity of Labour) - कौटिल्य ने अति प्राचीन विचारकों की, 'आश्रम व्यवस्था' को स्वीकार किया था। वह दास प्रथा के पक्ष में नहीं था। कौटिल्य ने श्रमिकों के अनुशासन के लिए कुछ नियम बनाये थे जिनमें उन श्रमिकों के लिए दण्ड की व्यवस्था थी जो मजदूरी प्राप्त करने के पश्चात काम करने को तैयार नहीं होते थे। कुछ स्थितियों में श्रमिकों को छुट्टी की व्यवस्था की गयी थी।

5. व्यापार (Trade) - कौटिल्य ने अपनी पुस्तक में व्यापार के विकास तथा नियमन सम्बन्धी प्रश्नों पर काफी विस्तृत विवेचन प्रस्तुत की है। इसी प्रकार धर्मशास्त्र और स्मृतियों में भी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वाणिज्य के महत्त्व को स्पष्ट किया गया है। इनके अनुसार यातायात तथा संदेशवाहन के साधनों को उन्नत करने की जिम्मेदारी राज्य की है, कौटिल्य ने कहा था कि व्यापारियों की सुविधाओं के लिए गृह-भण्डारों तथा विश्राम गृह को निर्मित करने की जिम्मेदारी भी राज्य की है। उन दिनों भारत में स्वतन्त्र व्यापार की प्रथा प्रचलित थी। व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क तथा प्रशुल्क लगाया जाता था और उनसे जो आय प्राप्त होती थी उन पर राज्य का अधिकार होता था। व्यापार को विकसित करने के लिए राज्य कानून बनाता था। इस प्रकार स्पष्ट है कि उस युग में व्यापार काफी उन्नत अवस्था में था। कौटिल्य ने कुछ वस्तुओं को निर्मित करने तथा विभागीय एजेंसी द्वारा विक्रय करने की सलाह भी राज्य को दी थी।

6. लोक-वित्त (Public Finance) - कौटिल्य ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में राजस्व को प्रमुख स्थान दिया था। उसने स्पष्ट रूप से बताया है कि प्रशासन तथा अन्य सभी क्रियाएँ वित्त पर आधारित होने के कारण, यह अत्यन्त आवश्यक है कि राज्य कोष की ओर अधिकतम ध्यान दिया जाये। उसके अनुसार राज्य को उद्योगों, वनों की व्यवस्था, कृषि व्यवस्था खान- खुदाई, मत्स्य पालन, व्यापार आदि में भाग लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त राज्य को करारोपण से भी आय प्राप्त होती है जो सरकारी विभागों के कार्य संचालन के लिए आवश्यक थी। प्राचीन समय में राजस्व का मुख्य उद्देश्य जनता को चारों पुरुषार्थों को सम्पन्न करने में सहायता प्रदान करना था।

7. जनसंख्या (Population) - प्राचीन विचारकों के लिए अत्यधिक जनसंख्या चिन्ता का कारण नहीं था। वे एक बड़ी जनसंख्या को शक्ति का साधन समझते थे। उनका विश्वास था कि छोटे-छोटे राज्यों में निरन्तर युद्धों तथा चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाओं की अपर्याप्तता के परिणामस्वरूप ऊँची मृत्यु दर होने के कारण जनसंख्या कभी भी एक निश्चित सीमा से अधिक नहीं बढ़ सकती। कौटिल्य का सुझाव था कि राजा ऐसे उपनिवेश स्थापित करे, जिनमें विदेशों से आने वाले व्यक्तियों को बसने के लिए सुविधाएँ उपलब्ध हो सकें।

8. कल्याणकारी राज्य (Welfare State) - कौटिल्य का राज्य सम्बन्धी विचार औद्योगिक आधारशीला पर आधारित था। उसके अनुसार राज्य के कार्य संचालन के लिए तीन निर्देशक सिद्धान्त होने चाहिए : प्रथम, राज्य को उद्योगो में भाग लेना चाहिए जो राष्ट्र को स्वावलम्बी बनाने में प्रत्यक्ष रूप से सहायक हो। दूसरे, खेती, सूत, कताई-बुनाई, पशुपालन, दस्तकारी इत्यादि को व्यक्तियों के अधिकार में छोड़ना चाहिए। अन्त में राज्य का कर्त्तव्य है कि वह देखे कि उत्पादन, वितरण तथा उपभोग सम्बन्धी क्रियाओं का संचालन कुशलतापूर्वक तथा निर्धारित नियमों के अनुसार हो। इसका अभिप्राय यह है कि व्यक्तियों पर राज्य का पूर्ण प्रभुत्व था किन्तु इसका उद्देश्य व्यक्तियों के कल्याण में वृद्धि करना था।

9. सामाजिक सुरक्षा (Social Security) - कौटिल्य के समय में सामाजिक सुरक्षा, प्रणाली इतनी विस्तृत नहीं थी जितनी आज है किन्तु कौटिल्य ने जन-कल्याण पर अपने विचार व्यक्त किये हैं। उसके अनुसार राज्य का कर्तव्य है कि निर्धनों के लिए धर्मार्थ संस्थाएँ एवं दरिद्रालय स्थापित करें, बेकारों को काम पर लगाये और दुर्बल तथा वृद्ध व्यक्तियों की सुरक्षा का प्रबन्ध करें।

10. ब्याज (Interest) - प्राचीन विचारक ब्याज के विरुद्ध नहीं थे परन्तु वे ब्याज की ऊँची दर के पक्ष में भी नहीं थे। कौटिल्य ब्याज दर के नियमन के पक्ष में था। उसके अनुसार ब्याज दर 15% न्यायोचित थी। किन्तु कुछ स्थिति में वह ब्याज की ऊँची दर को भी न्यायोचित समझता था।

11. कीमतों का नियन्त्रण (Control of Prices) - चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियन्त्रित करना महत्त्वपूर्ण समझा जाता था। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को चालाक तथा बेईमान व्यापारियों की कुरीतियों से बचाना था। खाद्यान्न तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं में व्यापार करने का अधिकार केवल अधिकृत व्यापारियों को ही दिया जाता था जो राज्य द्वारा नियुक्त किये जाते थे। ये व्यापारी घरेलू वस्तुओं पर अधिक-से-अधिक 8% और विदेशी वस्तुओं पर 10% लाभ ले सकते थे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
  5. प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
  9. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
  10. प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
  11. प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
  13. प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
  23. प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  25. प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
  26. प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
  33. प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
  34. प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  35. प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  36. प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
  39. प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
  40. प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  44. प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
  47. प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
  48. प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
  49. प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
  50. प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
  51. प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
  54. प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
  56. प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
  57. प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
  58. प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
  60. प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
  61. प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
  62. प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
  63. प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
  66. प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
  67. प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
  68. प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  74. प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
  75. प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  76. प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
  79. प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
  80. प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  81. प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
  82. प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  84. प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  86. प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
  88. प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
  90. प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
  91. प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
  92. प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
  93. प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
  95. प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
  96. प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  97. प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
  100. प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
  102. प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
  106. प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
  107. प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
  108. प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  109. प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
  112. प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
  113. प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  114. प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  115. प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
  117. प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  118. प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
  120. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  123. प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
  124. प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
  125. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
  126. प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  128. प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
  131. प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
  132. प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
  133. प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
  137. प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
  138. प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  139. प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
  140. प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  141. प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
  143. प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
  147. प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  149. प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  151. प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  152. प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
  153. प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  155. प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
  156. प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  159. प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
  160. प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
  162. प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  163. प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
  164. प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  165. प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  166. प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  167. प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  169. प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
  170. प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।

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